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‘आदिवासी प्रेम कहानियाँ' में इतिहास के अमर पात्रों के प्रेम और संघर्ष को रोचकता और प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया गया है । इन कहानियों में झारखंड का आदिवासी परिवेश, प्रकृति, परिस्थितियाँ, आदिवासियों का जीवन, उनकी सहज प्रवृत्तियाँ और स्वतंत्रता-संग्राम में अंग्रेजी सत्ता के साथ उनके द्वारा किया गया संघर्ष उभरकर आया है । गौरतलब है कि क काल में अंग्रेजी समाज शोषण और सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध था । अंग्रेजों के शोषण और अन्याय से मुक्ति के लिए आदिवासियों ने संघर्ष की जमीन रची और विद्रोह किया । आदिवासियों के न्याय-प्रेम और सुन्दरता की ओर अंग्रेजी समाज आकर्षित भी हुआ । और यही प्रेम की उत्स-भूमि है । चाहे वह सिदो और जेली हो, चाहे बुन्दी और सन्दु हो, चाहे बीरबन्ता बजल और जेलर को बेटी हो, चाहे मँगरी और रोजवेलगुड हो, चाहे बदल और मैग्नोलिया हो; सबके प्रेम की उत्स-भूमि न्याय-प्रेम और संघर्ष है । इसलिए इन नौ कहानियों में प्रेम के सच्चे स्वरूप का दर्शन होता है । जहाँ बहुत सहजता के साथ प्रेम जीवन में प्रवेश करता है और उसी के प्रति पूर्ण समर्पण भाव है । इन प्रेम कहानियों में कुछ का अन्त सुखान्त है तो कुछ का दुःखान्त । पाठक पाएँगे कि इन कहानियों के माध्यम से अपनी जातीय संस्कृति और अपनी भूमि के प्रति मर मिटने के अदभुत ज़ज्बे से लैस आदिवासियों के प्रेम और संघर्ष का जो चित्रण है, वह हमें नए तरीके से देश के इतिहास को समझने के लिए बाध्य करता है ।
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Fiction;
Stories;