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महाप्राण निराला के काव्य में गीतों का विशेष स्थान है। इस नाते ‘गीत-गुंज’ उनका एक प्रतिनिधि गीत-संग्रह है। इस संग्रह में अनेक ऐसे गीत हैं, जिन्हें निराला अकसर गुनगुनाते थे। वण्र्य विषय की दृष्टि से ज्यादातर गीत प्रकृतिपरक हैं, जिनमें प्रकृति के मात्र मोहक बिंब ही नहीं उसका यथार्थ स्वरूप मुखरित हुआ है। स्पष्टत: इन गीतों के माध्यम से निराला एक नयी चेतना प्रदान करना चाहते हैं। गीतों के अलावा मुक्त छंद में लिखी गई कुछ कविताएँ और स्वामी विवेकानंद की दो कविताओं का अनुवाद भी इस संग्रह में शामिल है।.
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Literary Criticism;