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सही और गलत के बीच किसी राह की तलाश की तरह है-सौरभभ शुक्ला का बर्फ | --द हिन्दू, बर्फ नाटक जैसा देखने में है, जितना दिखता है, उससे कहीं ज्यादा अनुभव के स्तर पर नाटक है | --टाइम्स ऑफ़ इंडिया, सच की बेहतरीन नाट्य प्रस्तुति | -- सन्डे गार्डियन, बर्फ जितना भयानक है उतना ही मानवीय भी है | सौरभ ने एक पतली रस्सी पर चलने जैसा खतरनाक काम किया है, जिसमे वे पूरी तरह सफल हुए हैं | रंगमंच की दुनिया का यह चकित करने वाला काम है | -- सुधीर मिश्रा.
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