Piramidon Ki Tahon Mein

Piramidon Ki Tahon Mein

₹ 351 ₹395
Shipping: Free
  • ISBN: 9789388183116
  • Edition/Reprint: 1st
  • Author(s): Suman Keshari
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Product ID: 567604
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out

About Product

सुमन केशरी का काव्य संसार विस्तृत है| यह विस्तार क्षैतिज भी है और उर्ध्वाधर भी| वे गम-ए-दौराँ तक भी जाती हैं और ग़म-ए-जाना तक भी| वह भौतिक संसार के चराचर दुखों की शिनाख्त के लिए मिथकों से स्वपनो तक भटकती हैं, तो आत्मा के आयतन के विस्तार के लिए रोज़-ब-रोज की जददोजेह्रद में भी मुब्तिला होती हैं । लगभग तीन दशकों के अपने सक्रिय जीवन में उन्होंने लगातार अपने समय और समाज की हलचलों को उनकी जटिल बिडम्बनाओं के साथ दर्ज करने का प्रयास तो किया ही है साथ ही एक स्त्री के लिए, जो साझा आर अलग अभिधार्थ हो सकते हैं, उन्हें बहुत स्पष्ट तौर पर अभिलक्षित भी किया हैं । पिरामिड की तहों के घुप्प अँधेरों में ‘जहॉ नहीं हैं एक बूँद जल भी तपंण को’ रोशनी के कतरे तलाश कर मनुष्यता के लिए जीवन रस संचित करन का अपनी इस कोशिश में परम्परा के साथ उनका सम्बन्ध द्वंद्वात्मक हैं| एक ओर गहरा अनुराग तो दूसरी ओर एक सतत असंतोष । 'शब्द और सपने’ जैसी कविता में सुमन केशरी का चिंताओं का सबसे सघनित रूप दृष्टिगत होता है| छोटे-छोटे नौ खंडों में बँटी यह लम्बी कविता अपने पूरे वितान में पाठक के मन में भय ही नहीं पैदा करती बल्कि समकालीन वर्तमान का एक ऐसा दृश्य निर्मित करती हैं जहॉ इसके शिल्प में अंतर्विन्यस्त बेचैनी पाठक की आत्मा तक उतरकर मुक्ति की चाह और उसके लिए मनुष्यता के आखिरी बचे चिन्हों को बचा लेने का अदम्य संकल्प भी भरती है । स्त्री उनके काव्य ज़गत का अभिन्न हिस्सा है| ‘माँ की आँखों के जल में तिरने' की कामना के साथ, अपने जीवन में मुक्ति और संघर्ष करती स्वप्नों से यथार्थ के बीच निरन्तर आवाजाही करती ‘किरणों का सिरा थाम लेने’ का स्वप्न देखती वह यह भी जानती है कि 'चोंच के स्पर्श बिना घर नहीं बनता’ और यह भी कि 'औरत ही घर बनाती है/पर जब भी बात होती है घर की/तो वह हमेशा मर्द का ही होता है| ‘ इस स्त्री के संवेदना जगत में मनुष्यों के साथ-साथ प्रकृति भी हैं तो मातृहीन बिलौटे और अजन्मे बच्चे भी| जीबन के हर सफे पर लिखे 'असंभव' से टकराती और ‘घर की तरह घर में रहने' ही नहीं ‘संगीनों क्रं साए तले प्रेम करने की अदम्य जीजिविषा से भरी सुमन केशरी की ये कविताएँ समकालीन कविता के रुक्ष वातावरण में मिथक, लोक और स्वप्न का एक भव्य वातायन ही सृजित नहीं करतीं अपितु प्रेम, करूणा और औदार्य के मानवीय जीव्मुल्यों पर आधारित एक समन्वयवादी वितान भी रचती हैं जिसमें भविष्य के स्वप्न देखे जा सकें| 'पिरामिडों की तहों में’ में संकलित कविताएँ अनिवार्यतः हिन्दी कविता के पाठक के संवेदनाजगत को और निर्मल करेंगी तथा असहनीय होते जा रहे इस दौर में मनुष्य बने रहने के लिए आवश्यक मानवीय चेतना का संचार भी करेंगी| -अशोक कुमार पाण्डेय|

Tags: Poetry;

Related Books

Indian Poetry In English
Indian Poetry In English
₹ 162 ₹ 179
Shipping: ₹ 75
Pashchatya Kavyashastra
Pashchatya Kavyashastra
₹ 214 ₹ 275 22.2%
Shipping: ₹ 75
Nagarjun Aur Unki Pratinidhi Kavitayein
Nagarjun Aur Unki Pratinidhi Kavitayein
₹ 94 ₹ 125 24.8%
Shipping: ₹ 75
Apra
Apra
₹ 105 ₹ 175 40%
Shipping: ₹ 75
A Short History of English Poetry
A Short History of English Poetry
₹ 120 ₹ 150 20%
Shipping: ₹ 75
The Loom of Time
The Loom of Time
₹ 399 ₹ 399
Shipping: ₹ 54
Indian Poetry In English
Indian Poetry In English
₹ 144 ₹ 159
Shipping: ₹ 75
Nibandh Bharti
Nibandh Bharti
₹ 27 ₹ 30
Shipping: ₹ 75

80018+ Books

Wide Range

37+ Books

Added in last 24 Hours

2000+

Daily Visitor

8

Warehouses

Brand Slider

BooksbyBSF
Supply on Demand
Bokaro Students Friend Pvt Ltd
OlyGoldy
Akshat IT Solutions Pvt Ltd
Make In India
Instagram
Facebook