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रेणु ने अपने आत्म-कथ्य में चित्रागुप्त महाराज द्वारा निर्मित भाग्य-लेख के अंशों में अपना परिचय देते हुए कहा है कि यह आदमी ‘एक ही साथ सुर और असुर, सुन्दर और असुन्दर, पापी और विवेकी, दुरात्मा और सन्त, आदमी और साँप, जड़ और चेतनµसब कुछ होगा।’ क्या यही परिचय अपने विविध और विस्तृत रूप में उनकी समस्त रचनाओं में नहीं लहरा रहा है? जड़ीभूत सौन्दर्याभिरुचि को गतिशील और व्यापक फलक प्रदान करनेवाली रेणु की कहानियों ने हिन्दी कथा-साहित्य को एक नयी दिशा दी हैµसामाजिक परिवर्तन ही एकमात्रा विकल्प है। यह दिशा ही रेणु की रचनाओं की मूल सोच है। बड़े चुपके से कभी उनकी कहानियाँ किसानों और खेत मजदूरों के कान में कह देती हैं कि जमींदारी प्रथा अब नहीं रह सकती और जमीन जोतनेवाले की ही होनी चाहिए। कभी मजदूरों को यह सन्देश देने लगती है कि तुम्हारी मुक्ति में ही असली सुराज का अर्थ छिपा हैµभूल-भुलैया में पड़ने की जरूरत नहीं। क्या कला, क्या भाषा, क्या अन्तर्वस्तु और विचारधारा, कोई भी कसौटी क्यों न हो, रेणु की कहानियाँ एकदम खरी उतरती हैं, लोगों का रुझान बदल देती हैं और यही रचनात्मक गतिविधि रेणु के साहित्य में उनके अप्रतिम योगदान को अक्षुण्ण बनाती है। अच्छे आदमी में संग्रहीत विधित रंगों की ये कहानियाँ रेणु की इसी विशिष्ट रचना-यात्रा का अगला पड़ाव हैं।
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Fiction;
Stories;