Jyotipunj Vivekananda

Jyotipunj Vivekananda

₹ 264 ₹300
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  • ISBN: 9789350485095
  • Edition/Reprint: 2021
  • Author(s): Debashish Ghosh
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 569456
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

ज्योतिपुंज विवेकानंद कृष्णलाल और निर्भयानंद नाव से प्रतिमा लाने चल पड़े। उन दोनों के साथ कई और लोग भी थे। ठाकुर-घर की निचली मंजिल में देवी माँ की मूर्ति लाकर रखते ही मूसलधार बारिश शुरू हो गई। ठाकुर-प्रांगण में तानपूरा की मूर्च्छना झंकृत हो उठी। स्वामीजी गा रहे थे— “काली नाम में इतने गुन, भला कौन जान पाए तभी देवाधिदेव महादेव, पंचमुख उनके गुन गाए।” स्वामीजी बिलकुल गंगा-तट पर बेल के पेड़ तले बैठे-बैठे गाते रहे—“बिल्व वृक्षमूल में करूँ उद्बोधन, गणेश-कल्याण से गौरी का आगमन।” पष्‍ठी के दिन माँ बागबाजार से बेलूर आ पहुँची। उसी दिन साँझ को एक बड़े पेड़ के नीचे अधिवास-पूजा आयोजित हुई। पूजा का संकल्प माँ के ही नाम पर हुआ। स्वामीजी ने कहा, “हम लोग तो कोपीनधारी हैं, हमारे नाम से नहीं होगा।” —इसी पुस्तक से भारतीय संस्कृति और राष्‍ट्रवाद के प्रखर उद‍्घोषक, ‘नर-सेवा ही नारायण-सेवा’ को अपने जीवन का ध्येय माननेवाले, जन-जन के प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद के जीवन-प्रसंगों को नवीन रूप में व्याख्यायित करनेवाली अत्यंत प्रेरक एवं पठनीय पुस्तक।

Tags: SWAMI VIVEKANANDA; Biography;

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