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बॉडी लैंग्वेज यानी शरीर की भाषा, शरीर के अंगों के हाव-भाव। बिना कोई बातचीत किए व बिना शब्दों का इस्तेमाल किए हम कितना कुछ कह जाते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारे हाव-भाव शब्दों की कमी को कितनी सरलता व सुघड़ता से पूरा कर जाते हैं। बॉडी लैंग्वेज विशेषज्ञों के अनुसार, व्यक्ति सत्तर फीसदी बातें अपने हाव-भावों के जरिए करता है। जब शरीर के हाव-भाव या बॉडी लैंग्वेज हमारे जीवन में इतना महत्त्वपूर्ण रोल अदा करते हैं तो फिर हम अपनी भावभंगिमाओं की ओर ध्यान क्यों नहीं देते हैं? उन्हें समझने की कोशिश क्यों नहीं करते हैं? एक सूक्ति है—‘सिर्फ नेत्र ही बता सकते हैं कि हृदय में घृणा है या प्रेम!’ इसलिए व्यक्तित्व निर्माण में इतनी महत्त्वपूर्ण बॉडी लैंग्वेज को समझना अत्यंत आवश्यक है। प्रस्तुत पुस्तक अपनी पर्सनैलिटी को निखारने व लोगों पर प्रभाव छोड़ने के लिए आपको तैयार करेगी। सेल्फ हेल्प की एक व्यावहारिक एवं अत्यंत उपयोगी पुस्तक।
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Culture;
Self Help;
Social;