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इस दुनिया को पैसा ही चला रहा है। यह हमें खुश करता है तो कभी दुःखी भी करता है; कभी किसी के प्रति आभारी बनाता है तो कभी बदले की भावना भी भर देता है; लेकिन क्या ऐसा है कि हर चीज के लिए दोष पैसे पर ही मढ़ा जाए या पैसे के प्रति हमारी सोच ही इसके लिए जिम्मेदार है? हालाँकि आधुनिक समाज पैसे को अत्यधिक महत्त्व देता है, लेकिन हमें यह कभी नहीं बताया-सिखाया जाता कि कैसे इसे सँभालें, इसमें कैसे निवेश करें। इसे बुद्धिमत्तापूर्वक कैसे इस्तेमाल करें। यही वजह है कि यह किताब जरूरी हो जाती है। यह पैसे को नई दृष्टि से देखने में आपकी मदद करेगी। न्यूटन के भौतिकी के नियमों की तरह ही यहाँ खर्च, बचत और निवेश को नियंत्रित करनेवाले सिद्धांत भी हैं। शरद कोमारराजू ने इन सिद्धांतों को यहाँ स्पष्ट और आसान भाषा में समझाया है। आप यहाँ से जो हासिल करें, उसे रोजमर्रा के क्रिया-कलापों में आजमाएँ भी और उसके परिणामों पर गौर करें तथा उसका विश्लेषण करें। उम्मीद है कि जल्दी ही आपके पास थोड़े पैसे जुट जाएँगे और आपको लगेगा कि पैसा आपका दोस्त है, दुश्मन नहीं
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