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कार्य समूह (टीम) के बिना नेतृत्वकर्ता का कोई अस्तित्व नहीं है। दोनों एक साथ मिलकर समूह के भीतर प्र संबंध की रचना करते हैं। और समूह की सफलता इस बात निर्भर करती है कि दोनों—नेतृत्वकर्ता व कार्य समूह—कैसे एक साथ मिलकर काम कर पाते हैं। लेकिन ऐसा तब हो पाता है, जब कार्य-स्थल में नेतृत्वकर्ता व कार्यकर्ता के बीच का अस्वाभाविक असुरक्षा भाव खत्म हो जाता है और स्वाभाविक ‘मानवीय सुरक्षा-चक्र’ (ह्यूमन सेफ्टी सर्किल) का निर्माण होता है। फिर कार्य समूह के सदस्य एक-दूसरे पर भरोसा करने लगते हैं। उनके बीच आपसी सहानुभूति बढ़ती है। वे एक-दूसरे के लिए कुछ करने को तैयार हो जाते हैं और उनके लिए कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रह पाता है। यही है नेतृत्व का मानव-विज्ञान (ह्यूमन साइंस)। मानव विज्ञान यानी मानवीय मूल्यों पर आधारित नेतृत्व करनेवालों को बहुत अच्छी तरह से पता होता है कि स्वयं के ऊपर दूसरों की जरूरतों व हितों को स्थान देने की इच्छा ही नेतृत्व का सच्चा मूल्य है। व्यक्तित्व को तराश-निखारकरलीडरशिप के गुणों का विकास करनेवाली एक पठनीय पुस्तक, जो आपके भीतर के लीडर को सामने लाएगी|
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Development;
Self Help;