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मध्य प्रदेश में जनकल्याण की योजनाएँ जन-जन की उपज हैं। जनता की आवाज को योजना के आकार में तब्दील करने का कार्य मध्य प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया। वे स्वयं किसी योजना की सफलता का श्रेय नहीं लेते। हम सभी जानते हैं कि मध्य प्रदेश की जन-कल्याणकारी योजनाओं पर अनेक लोग शोध कर रहे हैं। सहसा लोगों को विश्वास नहीं होता कि इन सफलतम योजनाओं का जन्मदाता कौन है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं कहते हैं कि मैंने जो असीम पंचायतें बुलाईं, उन्हीं में से इन जनकल्याणकारी योजनाओं का जन्म हुआ है। पंचायतों का यह प्रयोग भारत में पहली बार मध्य प्रदेश में हुआ है। सामान्य व्यक्ति कभी नहीं सोचता था कि वह कभी मुख्यमंत्री निवास जाएगा। वहाँ पंचायत में बैठकर, उनसे उनकी पंचायतों के बारे में, उनकी कठिनाइयों के बारे में चर्चा होगी, ये बातें असामान्य और अविश्वसनीय लगती थीं, पर ये सपने साकार हुए। शासन-प्रशासन की उपस्थिति में पंचायतों में भाग लेनेवाले सामान्यजन का उत्साह देखते ही बनता था। वे बिना किसी भय के खुलकर चर्चा करते देखे गए। शासन-प्रशासन भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने मुस्तैद रहता था। समाज का कोई भी वर्ग नहीं छूटा इन पंचायतों से। ऐसा लग रहा था जैसे मुख्यमंत्री ने पंचायतों के माध्यम से चहुँमुखी विकास की गति बढ़ाने का अभियान सा ले लिया है। भारतीय राजनीति के इतिहास में पंचायतों का यह प्रयोग अविस्मरणीय एवं अकल्पनीय रहा, और इनसे एक ही स्वर प्रस्फुट हुआ—जो कहा, सो किया।
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Politics;
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