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पुस्तक का शीर्षक ‘सबसे बड़ा रुपैया’ पैसे अथवा रुपए के साथ हमारे संबंधों की मौलिक रूपरेखा प्रस्तुत करता है। पुस्तक को जब भी आप खोलेंगे, आपको याद आएगा कि जब ‘पैसा’, ‘व्यक्तिगत शक्ति’ और ‘व्यापक बल’: ये तीनों आपके साथ होंगे तो आपको जीवन में संतुलित और सामंजस्यपूर्ण विकास की अनुभूति होगी। रुपए से संबद्ध ऐसी कई तकनीकें और सूत्र हैं, जिन्हें मनी वर्कशॉप (रुपए की कार्यशाला) में पहले आजमाया जा चुका है। अत: आपको स्वयं कुछ नया खोजने की जरूरत नहीं है; इन तकनीकों या सूत्रों के माध्यम से आपका जीवन सरल और सुखमय बन सकता है। इस पुस्तक में आपको ऐसे कई विचार और अवधारणाएँ मिलेंगी, जो आपको पसंद आएँगी और जिन्हें आप स्वीकार भी करेंगे; क्योंकि आपको ऐसा महसूस होगा जैसे ये सभी विचार आपके अपने ही हैं। ‘सबसे बड़ा रुपैया’ पुस्तक में निहित विचारों या तकनीकों के आधार पर अपनी कार्य-योजना तैयार करें, क्योंकि ‘कार्य’ ही आपकी जेब में पैसों के संचालन या प्रवाह को बढ़ाएँगे और इस प्रकार आप उच्च श्रेणी के जीवन का आनंद ले सकेंगे। पुस्तक में रुपए की महत्ता व समर्थता के साथ ही यह भी बताया गया है कि रुपए की आसक्ति में मानवीय और भावनात्मक संबंधों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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Business Studies;
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