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रहस्य आभामंडल का’ पुस्तक अपने आप में आध्यात्मिक चिंतन परंपरा की सर्वोत्तम परिणति है। आभामंडल के विषय में यह न केवल भारत के, अपितु समग्र विश्व के जिज्ञासुओं का सदैव मार्गदर्शन करेगी। आभामंडल क्या है? उसको जानने की जिज्ञासा ही हमें उसकी ओर अग्रसर करती है। जिस तरह ‘ब्रह्मसूत्र’ का आरंभ ‘अथातो ब्रह्मजिज्ञासा’ नामक प्रथम सूत्र से होता है, वैसा ही आरंभ यहाँ पर ‘अथातो आभामंडल जिज्ञासा’ के द्वारा होता जान पड़ता है। आभामंडल को हम कैसे परखें? इस विषय का बड़े ही वैज्ञानिक ढंग से निरूपण किया गया है। मंत्र-ध्वनि द्वारा आभामंडल की अनुभूति हो सकती है। अपने मंगलमय ‘सुमनसा स्याम’ और ‘सपन्नोऽहं स्याम’ जैसे संकल्पों द्वारा हम सदैव प्रसन्न और संपन्न रह सकते हैं। तत्पश्चात् स्वस्थ, चमकीले और प्राणवान् आभामंडल का विस्तृत परिचय दिया गया है। हमारी शारीरिक व मानसिक बीमारियों का मु?य कारण हमारी नकारात्मक विचारधारा और अवसाद (डिपे्रशन) है। अब प्रश्न उठता है कि अपने सूक्ष्मातिसूक्ष्म आभामंडल को हम कैसे देखें? आभामंडल को देखना और समझना असंभव तो नहीं है, लेकिन मन की चंचलता के कारण कठिन अवश्य है। श्वास पे्रक्षा तथा प्राणायाम के माध्यम से इसको देखने का अभ्यास किया जा सकता है।
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