KAHAI KABIR KUCHH UDYAM KEEJAI

KAHAI KABIR KUCHH UDYAM KEEJAI

₹ 191 ₹195
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  • ISBN: 9789351865667
  • Author(s): Swami Krishnanandji Maharaj
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 569806
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

कबीर कपड़ा बुनकर बाजार में बेचते रहे। घर छोड़कर कहीं अन्यत्र नहीं गए। हिमालय भी इंतजार करता रह गया। कबीर ने उद्घोषित किया था कि परमात्मा यहीं चलकर स्वयं आएगा। कुछ भी छोड़ने की जरूरत नहीं, क्योंकि छोड़ना पाने की शर्त नहीं हो सकता। छोड़ना अहंकार हो सकता है, आभूषण हो सकता है, लेकिन आत्मा का सौंदर्य नहीं हो सकता। अगर कबीर जैसा आदमी, अति साधारण जुलाहा अपना काम करते हुए परमज्ञान को उपलब्ध हो सकता है तो दूसरे क्यों नहीं? कबीर के पास सबके लिए एक आशा की ज्योति है। पूर्णत्व को पाने का संदेश है।

Tags: Poetry; Spirituality;

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