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आज अधिकांश लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत और जागरूक हैं, इसलिए अपना हैल्थ इंश्योरेंस तथा लाइफ इंश्योरेंस करवाते हैं। ये बीमा लेने के लिए सीमित व्यक्ति को बीमा कंपनी के साथ एक करार करना होता है, जो लंबा-चौड़ा होता है और बीमित व्यक्ति उसकी शर्तों से पूरी तरह परिचित नहीं हो पाता। इसलिए बहुत से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारक बीमार पड़ने या अस्पताल में भरती होने पर अपनी पॉलिसी से लाभ उठाने में असफल रहते हैं। इसके अनेक कारण हैं, जैसे—बहुत सी बीमारियों का शामिल न किया जाना, शर्तों का थोपा जाना, कुप्रशासन, प्रशासकों या बीमा कंपनियों का तानाशाही रवैया या गैर-सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण। शिकायत-निष्पादन व्यवस्था ही ऐसे पॉलिसीधारकों की एकमात्र उम्मीद रह जाती है, जिसका प्रावधान शासकीय एवं निजी बीमा कंपनियों द्वारा रखा गया है—अर्द्ध-न्यायिक एवं न्यायिक फोरम के रूप में। इस पुस्तक का उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों का पथ-प्रदर्शन करना, उन्हें इस व्यवस्था की जटिलताओं को समझने में मदद करना (विशेषकर समय-समय पर अदालतों द्वारा दिए गए निर्णयों के संदर्भ में) और बीमाकर्ता के विरुद्ध उनके दावों की प्रक्रिया में मदद करना है। हैल्थ इंश्योरेंस के सभी पक्षों से परिचित कराती प्रैक्टिकल हैंडबुक।
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Banking & Insurance;
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