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भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रखर उद्घोषक, ‘नर-सेवा ही नारायण सेवा’ को अपने जीवन का ध्येय माननेवाले, जन-जन के प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद के जीवन-प्रसंगों को नवीन रूप में व्याख्यायित करनेवाली अत्यंत प्रेरक एवं पठनीय पुस्तक। पहली नौकरी हिंदुस्तान टाइम्स के वितरण विभाग में, फिर अनेक समाचार-पत्रों के विज्ञापन विभाग में भी काम किया। ‘आनंदबाजार पत्रिका’ के रिपोर्टर के रूप में शुरुआत; रूपकला केंद्र के विकास संचार विभाग में गेस्ट लेक्चरर भी रहे। विज्ञापन व्यवसाय से भी जुडे़ हैं।
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SWAMI VIVEKANANDA;
Biography;
Spirituality;