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भूमंडलीय जल संकट के कुछ महत्त्वपूर्ण कारकों में बढ़ती जनसंख्या और खाद्य पदार्थ, नकदी फसल की बढ़ती माँग, शहरों की अपार वृद्धि तथा जीवन स्तर में अनवरत सुधार है। मानव हस्तक्षेप की वजह से मीठा पानी हमेशा मिल पाना संभव नहीं है। प्राकृतिक नियम के विपरीत अत्यधिक दोहन करेंगे तो स्वच्छ जल बनने की प्रक्रिया ध्वस्त हो जाएगी और सूखा-ही-सूखा दिखेगा। कई देशों में जल स्तर काफी नीचे चला गया है, उत्तरी चीन, अमेरिका और भारत इसके उदाहरण हैं। भारत के बहुत सारे हिस्सों में जल स्तर तकरीबन 300 मीटर से अधिक नीचे चला गया है। एक समय ऐसा आएगा कि पानी की कमी के कारण खाद्यान्न की खेती संकट में पड़ जाएगी। धरातल पर पाए जानेवाला पानी प्रदूषित हो रहा है, क्योंकि किसान जहरीले रसायन का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं शहरों के पास उद्योग के अपशिष्ट और घरों के गंदे पानी का बहाव धड़ल्ले से नदियों में छोड़ा जा रहा है। पर्यावरणविदों का मानना है कि इससे बड़े पैमाने पर वन नष्ट हो जाएँगे। लोगों का विस्थापन होगा। जल की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, जलवायु परिवर्तित होगा, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। इस भयंकर स्थिति से उबरने का एक ही उपाय है कि हम जल के महत्त्व को समझें और इसे न दूषित करें, न br>व्यर्थ करें बल्कि इसका सक करें। जल के महत्त्व को रेखांकित करती, इसके सरंक्षण के प्रति चेतना जाग्रत् करती विचारपूर्ण कृति। इंजीनियर अरुण कुमार जैन का जन्म 17 अक्तूबर, 1951 को दिल्ली में हुआ। बाल्यकाल से ही उन्हें अपने समाजधर्मी पिता स्व. श्री प्रकाशचंद जैन से संस्कार और विचार मिले, जिनसे राष्ट्रवाद और राष्ट्रहित के भाव जाग्रत् हुए। दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियर अरुणजी अपने आस-पास के परिवेश और परिस्थितियों का बहुत गइराई और सूक्ष्मता से अध्ययन कर अपनी अंतर्दृष्टि विकसित करते हैं और आत्मविकास की ओर प्रवृत्त होते हैं। सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक क्षेत्रों में निस्स्वार्थ सक्रिय भूमिका के लिए उनकी खूब पहचान, सम्मान और आदर है। उनकी कार्ययोजना में दूरदृष्टि है और सफल कार्यान्यवन की व्यावहारिक कार्यपद्धति भी। उनके स्पष्ट विचारों और सहज प्रवाहमय भाषा में लिखे लेख निरंतर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। ‘राम जन्मभूमि न्यास’ के ट्रस्टी रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यालय के कार्यालय मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं।
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Environment Science;
Water Resources;