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विगत वर्षों में रेडियो आवृत्ति तकनीक एवं टेक्नोलॉजी में विस्तृत रूप से परिवर्तन हुए हैं। उच्च तर रेडियो आवृत्तियों के प्रयोग से परिपथों का लघुकरण एवं उच्च बैंड-विस्तार की प्राप्ति संभव हो गई है। यह तकनीक जो कि कुछ वर्षों पहले तक केवल संचार हेतु प्रयुक्त होती थी, अब तारहीन अनुप्रयुक्तियों में अभिन्नो अंग बनकर उभरी है। इसमें मुख्य योगदान माइक्रो-मशीनिंग/मेम्सु आधारित संरचनाओं का विशेष योगदान रहा है। सूक्ष्म-तरंग एवं मिलीमीटर तरंग आवृत्तियों पर समतलीय संरचनाओं की संविरचना मेम्स तकनीक द्वारा ही संभव है। मेम्स तकनीक इलेक्ट्रॉनिकी मॉड्यूल के लघुकरण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है, जिसका उपयोग सैन्य व अंतरिक्ष अनुप्रयुक्तियों में हो रहा है। रेडियो आवृत्ति मेम्स विकसित अवस्था में है एवं परिपक्वता की तरफ अग्रसित हो रही है। यह अति वृहत् एकीकृत परिपथ (VLSI) परिपथों तकनीक के समरूप है, परंतु इसमें गतिशील भाग झिल्ली का संयोजित होता है। इसकी अति वृहत् एकीकृत परिपथ (VLSI) तकनीक से समरूपता के कारणवश ही अल्प समय में विभिन्न संभावित व्यावसायिक अनुप्रयुक्तियों में इसका विस्तार हो रहा है। रेडियो आवृत्ति मेम्स का प्रमुख अवयव उदाहरणार्थ मेम्स स्विच, जिसके गुणधर्म जैसे निम्न निवेशन हानि, निम्न ऊर्जा खपत, उच्च पृथक्करण एवं उच्च रैखिकता इत्यादि अन्य तकनीक के बनिस्पत बेहतरीन है। इसके अतिरिक्त मेम्स का एकीकरण सीधे तौर पर रेडियो आवृत्ति उप-मॉड्यूल में करने पर उच्च तर कार्य प्रणाली की प्राप्ति होती है; उदाहरणार्थ कला विस्थापिक या ऊर्जा पथ जाल।
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Communication And Media Studies;