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भारत का प्रत्येक नागरिक करदाता है। गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाला आम आदमी माचिस की डिब्बी खरीदते समय भी बिक्री-कर एवं उत्पाद-कर देता है। हमारी सरकार लोगों के द्वारा दिए जानेवाले टैक्स से ही चलती है। स्वभावत: हर व्यक्ति सरकारी विभागों एवं एजेंसियों द्वारा की जा रही काररवाइयों की जानकारी चाहता है; क्योंकि इनका आम आदमी के जीवन पर प्रत्यक्ष असर पड़ता है। सरकारी विभागों एवं एजेंसियों से जनता का संबंध चोली-दामन का है—जन्म प्रमाण-पत्र से मृत्यु प्रमाण-पत्र पाने तक जनता उन पर आश्रित रहती है। हमारे संविधान में सूचना का अधिकार एक मौलिक अधिकार माना गया है। सूचना पाने का कानून न्यायपालिका और विधायिका पर भी समान रूप से लागू होता है। आम जन उनके कार्य एवं गतिविधियों की जानकारी माँग सकते हैं। सारी दुनिया में सरकारें अपने नागरिकों को अपने कार्य-कलापों की अधिक-से-अधिक जानकारी उपलब्ध करवा रही हैं। सूचना का अधिकार प्रत्येक जन सूचना अधिकारी, सहायक जन सूचना अधिकारी एवं उन सभी कर्मचारियों के लिए विशेष महत्त्व रखती है, जो इस अधिनियम को लागू करने के लिए उत्तरदायी हैं। सरल, सुगम एवं बोधगम्य भाषा में लिखी यह पुस्तक पाठकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी, जानकारीपरक एवं पठनीय है।.
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