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राहुल बारपुते हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा हैं । उनके संपादकत्व में इंदौर की ' नईदुनिया ' हिंदी पत्रकारिता की एसी नर्सरी बनी, जिसकी जड़ें भाषाई और सामाजिक सरोकारों से ऊर्जा पाती थीं । यहाँ से कई नामचीन पत्रकार निकले । राहुलजी का आकाश अखबार में समाचार और विचारों की दुनिया तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने जीवन की सार्थकता की तलाश कला और संस्कृति के संसार में भी खूब की । हर जगह वे अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे । ऐसे बहुविध संपादक और पत्रकार कम ही हुए हैं । वे अपने नाम, अपने प्रभाव और अपनी ख्याति के फेर में कभी नहीं पड़े । उन्हें कलम की दुनिया का कबीर कहना ठीक होगा । प्रस्तुत पुस्तक युवा पत्रकार श्री विजयमनोहर तिवारी द्वारा परिश्रमपूर्वक लिपिबद्ध एकमात्र दस्तावेज हें, जिसमें उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के कई जाने- अनजाने पहलू एक साथ सामने आए हैं ।
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Autobiography;
Biography;