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प्रस्तुत पुस्तक ' बचपन की कहानियाँ ' प्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षा-मनीषी डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल द्वारा संपादित कहानियों का संकलन है । इन कहानियों के माध्यम से बाल- मनोविज्ञान पर गहरी दृष्टि डाली गई है । बच्चे किन-किन अवस्थाओं में अपने कुटुंब से प्रसन्न रहते हैं, कब क्षुब्ध रहते हैं, उनके कारण क्या हैं, अभिभावक की कौन सी कमजोरियाँ बच्चों पर गलत प्रभाव डालती हैं आदि अनेक समस्याएँ और उनका निदान कहानियों की भाव- भूमि है । हमारे सामाजिक जीवन में लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा निकृष्ट समझने का जो स्वभाव है, वह भी कई प्रकार की मनोवैज्ञानिक उलझनें उत्पन्न करता है । इस सम्मान से जहाँ एक ओर लड़कियों में अपने आपको दुर्बल समझते रहने की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है, वहीं लड़कों में महिलाओं के प्रति एक दूषित दृष्टिकोण भी पनपता रहता है । भविष्य में यह प्रवृत्ति पुरुष एवं महिला वर्गों के बीच के रिश्ते को अमानवीय स्तर पर पहुँचा देती है । इस विवरण से यह भी ज्ञात होता है कि बच्चे चाहे संपन्न वर्ग के हों अथवा निर्धन वर्ग के, लड़कियों के रूप में हों या लड़कों के, हम बड़ी के द्वारा किए गए अनुचित व्यवहार के कारण अपने संतुलित विकास की ओर बढ़ नहीं पाते हैं । इस संकलन में ऐसी ही कतिपय समस्याओं से जूझते बच्चों और उनके मनोविज्ञान को रूपायित करनेवाली कहानियाँ संगृहीत हैं । प्रकृति की कमान से निकलते हुए इन तीरों को अपना मार्ग -स्वयं बनाने में आप पूरा-पूरा सहयोग देंगे, इसी आशा के साथ प्रस्तुत है यह संकलन ।
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