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‘‘कहो न मिनी, इसका क्या अर्थ है?’’ ‘‘मन तौ शुदम का अर्थ होता है—मैं तेरा हो गया।’’ शब्द और अर्थ पर वार्त्तालाप होते देख इंदरानी खिसक ली, नहीं तो देखती अपार प्रेम भरा आलिंगन कैसे हुआ करता है। सुखबीर ने बहुत ही कोमलता से पूछा, ‘‘इसके आगे भी कुछ होगा, मिनी? आज इसी क्षण सुनने का मन हो रहा है।’’ संसार की सबसे सुखी नारी के स्वर में मिनी ने कहना आरंभ किया—‘‘फारसी का यह पूरा छंद है— मन तौ शुदम, तौ मन शुदी। मन तम शुदी, तौ जाँ शुदी। ता कथाम गीयंद वाद अजी। मन दीगरम व तौ दीगरी।’’ ‘‘अब अर्थ भी बता दो, यह तुमने कहाँ पढ़ा था?’’ ‘‘मरियम अम्मा की नोट-बुक में था। मुझे अच्छा लगा तो रट लिया। इसका अर्थ है— मैं तेरा हो गया, तू मेरा हो गया। मैं शरीर बन गया, तू प्राण बन गया। कभी कोई यह कह न सके मैं और तू और तू और मैं हैं।’’ —इसी उपन्यास से मानवीय संबंधों में भी छल-प्रपंच, एक ओर धन के प्रति व्यक्ति का पागलपन, तो दूसरी ओर सर्वस्व समर्पण, नारी की इच्छाशक्ति, समाज की विसंगतियों एवं विद्रूपताओं को रेखांकित करता एक रोमांचक एवं पठनीय उपन्यास।
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