Ramayan Ke Patra

Ramayan Ke Patra

₹ 158 ₹225
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  • ISBN: 9789381063064
  • Author(s): Dinkar Joshi
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 571277
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

रामचरित्र को सैकड़ों वर्ष बाद भी करोड़ों व्यक्तियों के हृदय में जो स्थान प्राप्त है; वह अद्भुत है। रामकथा को साहित्य के या अन्य किसी सामान्य मापदंड से मूल्यांकित नहीं किया जा सकता है। तुलसीदास ने तो इस कथा को मात्र ‘रामचरित’ ही नहीं; बल्कि ‘मानस’ भी कहा है। यहाँ मन ही केंद्रस्थान पर है; बुद्धि नहीं। एक चित्र में से प्रकट होता प्रवाह दूसरे चित्र को स्पर्श करे—यह विशेषता है। इसमें बुद्धि के मापदंड कई बार अपर्याप्त सिद्ध हों; ऐसा संभव है। बुद्धि का प्रदेश जहाँ समाप्त होता है; वहाँ से भक्ति का प्रदेश शुरू होता है। राम इस प्रदेश के देवाधिदेव हैं। ऐसे देवाधिदेव का अपने चित्त में उठते प्रश्नों के बावजूद वंदन ही करना चाहिए।

Tags: Philosophy; Religious;

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