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शक्तिपुंज भारतवासी भारतवासियों ने कृषि, विज्ञान, चिकित्सा, अभियांत्रिकी, प्रौद्योगिकी, कला, व्यापार, युद्ध और प्रशासन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। हमारे चिकित्सकों ने विभिन्न रोगों के इलाज एवं मानव अंगों के प्रत्यारोपण में महान् उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। हमारे वैज्ञानिकों ने क्रायोजेनिक इंजन, सुपर कंप्यूटर एवं ‘अग्नि’ व ‘पृथ्वी’ जैसे शक्तिशाली प्रक्षेपास्त्रों के निर्माण के साथ ही देश को परमाणु शक्ति-संपन्न बनाने में अनुपम योगदान दिया है। भारतीय किसानों ने कृषि क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है और अपने देश को ऐसी स्थिति में ले आए हैं जहाँ कई अकालों के बावजूद खाद्यान्न के मामले में हम आत्मनिर्भर बन चुके हैं। इतना ही नहीं, भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक व कंप्यूटर विशेषज्ञ विदेशों में जाकर वहाँ तकनीकी, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा एवं विज्ञान के क्षेत्र में उन देशों को अत्याधुनिक स्वरूप देने के प्रयासों में सहयोग दे रहे हैं। भारत प्रतिभावान् मानव संसाधन का अजस्र स्रोत है। किंतु यह तथ्य हमें याद रखना चाहिए कि देश के करोड़ों लोगों को अपने कौशल और प्रतिभा को उन्नत बनाने का उचित अवसर नहीं मिलता। हालाँकि वे मूलत: प्रतिभाशाली होते हैं और उनके पास नाना प्रकार के कौशल होते हैं, तब भी वे उनका उपयोग रचनात्मक कार्यों के लिए नहीं कर पाते; क्योंकि अर्थव्यवस्था की धीमी गति के कारण उनके लिए रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध नहीं हैं। वे कौन से कारक हैं जिनके कारण प्रतिभावान्, क्षमतावान् व शक्तिपुंज भारतवासियों के होते भारत विश्व की प्रतिस्पर्धात्मक व्यवस्था में उभरकर नहीं आ पा रहा। प्रस्तुत पुस्तक में इस संबंध में व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए बेबाक चर्चा की गई है और भारत के नवनिर्माण तथा उसके विकसित स्वरूप के बारे में सुचिंतित व सुविचारित तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं। विश्वास है, यह पुस्तक वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकी-विदों, व्यापारियों तथा प्रशासकों के लिए लाभकारी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में प्रगतिगामी दृष्टिकोण विकसित करेगी और महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शिका व संदर्भ सामग्री सिद्ध होगी।
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