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इस संकलन में जहाँ एक ओर शृंगार रस के संयोग और वियोग, दोनों रूप दिखाई देते हैं, वहीं जीवन के प्रति आशावादी दृष्टकोण भी दिखाई देता है। सामाजिक बुराइयाँ, जैसे—कन्याभ्रूण हत्या, नारी की अवमानना, सामाजिक विषमताएँ तथा पर्यावरण का विनाश जैसी बुराइयों से द्रवित मन की पीड़ा भी इन कविताओं में व्यक्त है। यह नारी जीवन का दर्द ही तो है, जिसकी सारी प्रतिभाएँ—चौका-चूल्हा, रीति-रिवाज, रिश्ते-नाते तथा पूजापाठ में दबकर रह जाती हैं। शायद इसलिए मुझे इस कविता संकलन का शीष्र्ाक ‘बट्टे से दबी तारीखें’ विष्ायवस्तु को देखते हुए सटीक लगा।
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Stories;