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यह पुस्तक भारतवासियों का अपने देश को ईमानदार देश का आकार देने के लिए एक आह्वान है। इस पुस्तक में संकलित लेख विभिन्न क्षेत्रों के सुप्रसिद्ध भारतीय विचारकों और नायकों ने लिखे हैं, जो सभी अपने जीवन और कार्य में ईमानदारी के साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। इसमें विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत समाज के सभी अंगों में ईमानदारी, नैतिकता और पारदर्शिता के अभाव के कारणों की चर्चा की गई है। इन लेखों में हमारे देश की संस्थाओं में ईमानदारी, नैतिक व्यवहार और सुशासन का स्तर ऊँचा उठाने के लिए विश्वसनीय और व्यावहारिक विचार तथा दृष्टिकोण प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से कुछ लेख फाउंडेशन फॉर रेस्टोरेशन ऑफ नेशनल वैल्यूज के नई दिल्ली में नवंबर 2008 में संपन्न दो दिवसीय सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए थे। इस सार-संग्रह में न केवल सम्मेलन के सार को प्रस्तुत किया गया है, बल्कि इससे भी आगे बढ़ते हुए ऐसी पहलों के लिए रूपरेखा भी प्रस्तुत की गई है, जिसे व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर अपनाकर भारत को ईमानदार राष्ट्र बनाया जा सकता है—एक ऐसा राष्ट्र जो निर्णयों में भ्रष्टाचार, बेईमानी और अपारदर्शिता से मुक्त हो। तेजस्वी भारत के लिए सशक्त जीवन मूल्यों की आवश्यकता को रेखांकित करती पुस्तक जिसे अगर हम भारतीय अंगीकार कर लें तो देश की दशा-दिशा सुधर जाएगी।
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Culture;
Political;