Parvaton Ka Antah Sangeet

Parvaton Ka Antah Sangeet

₹ 229 ₹250
Shipping: Free
  • ISBN: 9789380183350
  • Author(s): Chander Sonane
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 571345
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
Available on SOD This book is available on our Supply on Demand (SOD) feature. It will be procured after your order. Dispatch can take 1-3 working days. Know more.
Check delivery time for your pincode

About Product

पर्वतों का अत:संगीत (हिमांशु जोशी)—डॉ. चंदर सोनाने हर लेखक का, हर साहित्य का, हर कृति का अपने समय-संदर्भों में एक विशेष मूल्य और महत्त्व होता है। कई बार कृति में सुरक्षित ‘रचना समय’ अपनी कृति में ही पुराना और अर्थहीन हो जाता है तो कई बार वह कृति के समय से बाहर जाकर एक नया ‘रचना समय’ रचता है। वह साहित्य अपने घोषित या सुरक्षित ‘रचना समय’ का अतिक्रमण करके वृहत्तर संदर्भों में प्रकट होता है। और यदि ऐसा होता है तो जाहिर है कि इन भिन्न संदर्भों की जड़ें उसके भीतर मौजूद थीं। कई बार यह आदर या अनुगूँज बहुत महीन होती है। संभवत: इसलिए भी कि वह रचनात्मकता का हिस्सा होने की प्रक्रिया में लेखकीय अवचेतन का हिस्सा रही हो। लेखकीय अवचेतन में बसी अनुगूँज कई बार रचनात्मकता में ठीक उस तरह से जगह नहीं बना पाती है जैसी वह अवचेतन में मौजूद थी। ठीक यहीं से एक शोधार्थी या आलोचक का श्रम शुरू होता है। वह उस अनुगूँज को कितना और किन अर्थों में पकड़ता है। उस महीन अनुगूँज को भी किस तरह एक बड़े नाद में रूपांतरित करता है। यह खोज, यह पड़ताल एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वह रचना संसार बल्कि अवचेतन में शामिल वह प्रक्रिया भी एक ऐसे रूपाकार को प्रस्तुत करे, जिसकी संरचना में रचना के अभिप्राय सभी संभावित अर्थ के माध्यम से मौजूद हों। डॉ. चंदर सोनाने की यह कृति ‘पर्वतों का अंत: संगीत (हिमांशु जोशी: रचना यात्रा) ऐसे ही मिश्रित काम का सुखद नतीजा है। इस कृति के बहाने हिमांशु जोशी के जीवन के अनेक ऐसे पहलू प्रकट हुए हैं, जो हिंदी रचना संसार के लिए तो अपरिचित थे ही, संभवत: खुद हिमांशु जोशी जिसे स्मृतियों के पुराने घर में छोड़कर भूल चुके थे। ठीक उसी तरह चंदर ने हिमांशु जोशी के कृतित्व की भी ऐसी पड़ताल की है कि उनकी रचनाओं से अनेकानेक प्रकट-अप्रकट अर्थ उद्घाटित हुए। हिमांशु जोशी साठोत्तरी पीढ़ी के महत्त्वपूर्ण रचनाकार हैं। उनकी अनेक रचनाएँ विशेष ‘कगार की आग’ और ‘सुराज’ उपन्यास चर्चित रहे हैं। इतने अरसे बाद समसामयिक संदर्भ में चंदर ने जिस तरह विश्लेषित किया है, वह बहुत श्रमसाध्य कार्य रहा है। चंदर के श्रम में अर्थपूर्ण उपलब्धि यह है कि हिमांशु जोशी की रचनात्मकता की पड़ताल में उनके साहित्यिक संदर्भों के साथ सांस्कृतिक संदर्भों की भी व्याख्या है। किसी लेखक के संपूर्ण कृतित्व और व्यक्तित्व की पड़ताल एक ऐसा दुरूह कार्य है, जहाँ छुपे, दबे और कुछ-कुछ विस्मृत अतीत से मुठभेड़ होती है। चंदर ने इस मुठभेड़ के लिए बहुत श्रम किया है। हिमांशु जोशी की सारी रचनाओं से गुजरते हुए इतिहास से साक्षात्कार किया है। वह इतिहास एक पुनर्व्याख्या के साथ इस कृति में प्रतिष्ठित है। इन श्रमसाध्य पड़ताल में हिमांशु जोशी की रचनात्मकता में निहित जीवन-दृष्टि और रचना-दृष्टि को बहुत सतर्कता और संवेदन मन से संभाव्य बनाया गया है। हमें कृति से गुजरते हुए चंदर की निष्ठा के साथ उनके भावुक मन के श्रम और सकारात्मक दृष्टि के प्रति रुझान का भी पता चलता है। —भालचंद्र जोशी

Tags: Biography; Music;

79811+ Books

Wide Range

14+ Books

Added in last 24 Hours

2000+

Daily Visitor

8

Warehouses

Brand Slider

BooksbyBSF
Supply on Demand
Bokaro Students Friend Pvt Ltd
OlyGoldy
Akshat IT Solutions Pvt Ltd
Make In India
Instagram
Facebook