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जन्म की एक भूल—रामदेव धुरंधर 'जन्म की एक भूल’ रामदेव धुरंधर का द्वितीय कहानी संग्रह है। ज्यादातर वे नाटक, लघुकथा और उपन्यास में अपनी लेखकीय निष्ठा का अर्घ्य समर्पित करते रहे। पर कहानी लेखन की उनकी बेचैनी यथावत् बनी रही। उसी बेचैनी का परिणाम 'जन्म की एक भूल’ कहानी-संग्रह के रूप में पाठकों के समक्ष है। प्रस्तुत संग्रह में कुल सत्रह कहानियाँ संकलित हैं। हर कहानी का अस्तित्व एक दूसरी से पृथक् है। कहानियाँ लेखक के अपने मॉरीशस के जनजीवन को रेखांकित करती हैं, साथ ही अपने देश की सीमा तोड़ने में सक्षम हैं। इस दृष्टि से इनमें हम विश्वमानव को समाहित पाएँगे। भाषा, शैली और अभिव्यक्ति में सिद्धहस्तता रखनेवाले रामदेव धुरंधर की इन कहानियों का भारत में स्वागत करने से यह परिभाषा स्वत: निर्धारित हो जाएगी कि भारत की हिंदी के वटवृक्ष की एक टहनी, जो मॉरीशस की जमीन पर झंडे के समान फहर रही है, हम उसी का अभिनंदन कर रहे हैं।
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