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इस संकलन में जिन कहानियों को शामिल किया गया है; उनकी लोकप्रियता का आधार पाठकों; संपादकों के आत्मीय पत्र हैं और समीक्षकों की प्रशंसात्मक टिप्पणियाँ भी। इनकी लोकप्रियता के कई कारणों में एक कारण कथ्य एवं विषय की विविधता है। इन कहानियों में देश-विदेश के कई प्रांतों-प्रदेशों की लोक संस्कृति के इंद्रधनुंषी रंग हैं। ये कहानियाँ किसी एक खाँचे में बंद नहीं हैं। यहाँ प्रेम और आपसी सौहार्द की बेमिसाल धरती कश्मीर और पंजाब में पनपे आतंकवाद की त्रासद परिणतियाँ ‘काली बर्फ’; ‘आवाज’; ‘आत्मबोध’ जैसी कहानियों में है; तो ‘पोशनूल की वापसी’; ‘तैंतीबाई’ में दीन-धर्म; वर्गवर्ण से ऊपर निश्छल स्नेह और आत्मीय संबंधों के अनूठे उदाहरण भी हैं। सामाजिक-राजनीतिक दुर्व्यवस्था आतंकवाद; अंधविश्वास और रूढ़ मान्यताओं का विरोध करती ये कहानियाँ मनुष्य के अधिकारों; स्वप्नों और उम्मीदों के लिए आवाज उठाती हैं। वैश्वीकरण की इस दौड़ में मूल्यों का विघटन; वृद्धों के प्रति बढ़ती संवेदनहीनता आदि सामयिक मुद्दों से जुड़ी ये कहानियाँ स्त्री-विमर्श के नारे दिए बिना स्त्री की अस्मिता; अधिकारों और संघर्ष के प्रश्न शिद्दत से उठाती हैं। आज की नई स्त्री की बदली सोच और आत्मिक शक्ति ‘आवाज’; ‘लगातार युद्ध’; ‘अलकटराज देखा’; ‘दहलीज पर न्याय’ आदि कहानियों में देखी जा सकती है। समय की ज्वलंत समस्याओं का परीक्षण करती ये कहानियाँ मानवीय करुणा और जिजीविषा को बचाकर मनुष्य की संवेदना को बचाए रखने की कोशिशें हैं। यही इनकी लोकप्रियता का कारण भी है।
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Stories;