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सरदार पटेल के राजनीतिक विरोधियों द्वारा उनके बारे में समय-समय पर यह दुष्प्रचारित किया गया कि वे मुसलमान-विरोधी थे। किंतु वास्तविकता इसके विपरीत थी। उनपर यह आरोप लगाना न्यायसंगत नहीं होगा और इतिहास को झुठलाना होगा। सच्चाई यह थी कि हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ लाने के लिए सरदार पटेल ने हरसंभव प्रयास किए। इतिहास साक्षी है कि उन्होंने कई ऊँचे-ऊँचे पदों पर मुसलमानों की नियुक्ति की थी। वह देश की अंतर्बाह्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे और इस संबंध में किसी तरह का जोखिम लेना उचित नहीं समझते थे। पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान (अब बँगलादेश) से भागकर आए शरणार्थियों के प्रति सरदार पटेल का दृष्टिकोण अत्यंत सहानुभूतिपूर्ण था। उन्होंने शरणार्थियों के पुनर्वास एवं उनकी सुरक्षा हेतु कोई कसर बाकी न रखी और हरसंभव आवश्यक कदम उठाए। प्रस्तुत पुस्तक में मुसलमानों और शरणार्थियों के प्रति सरदार पटेल के स्पष्ट; व्यावहारिक एवं सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण को स्पष्ट किया गया है। इससे पता चलेगा कि किस प्रकार उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की सुरक्षा की।
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