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जैसे उड़ि जहाज को पंछी इन्हीं कहानियों से— आपका चेहरा लाल देखकर फूला न समा रहा था। पर मुझे देख आपका मुँह क्यों सूज गया, भैया? मैं पोथी पढ़ा-लिखा तो नहीं, जानवर तथा चिड़िया की बोली, बादल-बिजली का रंग-ढंग, फसल की सेहत सब पढ़-समझ लेता हूँ। आदमी का चेहरा भी पढ़ लेता हूँ। आप किताबों के बीच रहते हैं न! मैं तो आदमी और इन गाय, भैंस, बैल, कुत्ता और तोता से घिरा रहता हूँ। बादल-बिजली के संग-संग उठता-बैठता हूँ। —बात का गोला उन शेर दिलों का गिड़गिड़ाना और उसका एहसानमंद होना कहीं घाव बनकर टीस रहा है उसके मन में। वयस कम है। वयस्क होने की दहलीज पर प्रथम चरण रखने ही वाला था कि वोट की राजनीति के दरिंदों ने उसके दिल पर ऐसी चोट कर दी कि कभी घाव न भरेगा। —जुनून और जज्बात अमेरिकन माता-पिता को अपनी संतान के संग-साथ के लिए तरसते कई युग बीत गए। हमारे यहाँ तो अभी इस तरस की शुरुआत ही हुई है। आनेवाले समय में तुम्हारे ड्राइंगरूम की दीवार पर सजी श्रवणकुमार की पेंटिंग का महत्त्व फिर हिंदुस्तान में भी बढ़ाने की आवश्यकता समझी जाएगी। —पेंटिंग के बहाने सुबह-सुबह ही कबूतरों के साथ और चिड़ियाँ सब भी आ जाती हैं। छोटे-छोटे माटी के सरोपा में पानी रख देती हूँ। एक-दो घूँट ही पी पाती हैं। चिड़ियों के उसपर बैठने से वे सरोपाएँ उलट जाती हैं। यह देखकर मुझे बहुत दु:ख होता है। तुम्हारा यह चमकौआ हार बेचकर क्या इतना पैसा मिलेगा कि मैं एक बड़ा परात खरीद सकूँ? सब चिड़ियाँ भी एक साथ पानी पी लें। —बलेसर माई का तालाब
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Fiction;
Stories;