Amavasya Ke Tare

Amavasya Ke Tare

₹ 210 ₹300
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  • ISBN: 9788188139781
  • Author(s): Kisansingh Chavda
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 571420
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

उनमें से एक आदमी ने कहा-‘‘जब तक हम दूसरों की सहायता कर सकते हैं तब तक हम जीने का एहसास करते हैं। जब हममें दूसरों का उपयोग करने की वृत्ति जाग्रत् होगी तब हम जीवित नहीं होंगे। आप लोग चलिए, आपको देरी हो रही है।’’ मैं बोले बिना रह न सका, अतः मैंने पूछा, ‘‘आप हमें सच बताइए, आप कौन हैं और कहाँ के हैं?’’ ‘‘हम?’’ कहकर दोनों हँस पड़े। बोले, ‘‘हम जिप्सी हैं। हम इजिप्ट में पैद हुए हैं, परंतु सारा जगत् हमारा देश है। हमें कहीं भी पराया नहीं लगता। मिस्त्र में हमने हजारों वर्ष की उम्र के मुरदे (ममी)देखे हैं, अतः जब हम कम उम्र का, लेकिन जिंदा आदमी देखते हैं तो हमें अद्भुत खुशी होती है कि चलते रहना ही जिंदगी है।’’ नाम से अनजान इन जिंदा आदमियों को देखकर अस्तित्व ने पल भर जिंदगी के रोमांच की अनुभूति की। मुझे लगा यादि हम ‘जिप्सी’ बन जाएँ तो? आज नाम से ‘जिप्सी’ बन हूँ। काम से कब बनूँगा?

Tags: Astronomy; Fiction; Stories;

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