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सत्य की खोज इसलिए आवश्यक है, क्योंकि सत्य ही जीवन है। आप सत्य की खोज की आवश्यकता महसूस नहीं करते तो आप जीवन से ही विमुख हैं। मानव जीवन बहुमूल्य है, क्योंकि उसमें विवेक का प्रकाश है। मानव और पशु में भोग के विषय में तो समानता दिखाई देती है, लेकिन ज्ञान के विषय में वह पशु से बेहतर है। जो मनुष्य सिर्फ भोग का जीवन जी रहा है, वह इस अंतर को समझ नहीं पाया है। जो विवेक की शक्ति को समझ गया है, वह सत्य की खोज में है, और सत्य उसे अवश्य मिलेगा। वर्तमान में ही जीवन है और सत्य है। हम जीवन भर विचारों के बोझ के तले दबकर एक कल्पनाजगत् में जीते रहते हैं। इस असत्य संसार का अभ्यास हमें सत्य की खोज से दूर रखता है। आप अपनी असीमित शक्तियों को भूल जाते हैं। आप में सचमुच समंदर को लाँघ जाने की शक्ति है, बस सत्य को पहचानना होगा। सत्य को पहचानना और असत्य से दूरी कठिन कार्य नहीं है। आपको कुछ अभ्यासों को अपने दैनिक जीवन में आजमाना होगा। एकाग्रता, इच्छाशक्ति, आत्मबल को बढ़ाना होगा। कैसे आप अपने इन स्वाभाविक गुणों को पा सकते हैं? सही अभ्यास क्या है?सत्य की राह की बाधाओं को दूर करने के कौनकौन से अस्त्र आपके पास मौजूद हैं? इन सारे सवालों के जवाब आपको सत्य की खोज करते हुए मिल जाएँगे। सत्य की प्राप्ति के बाद आपके सभी प्रश्नों और भटकाव का अंत हो जाता है।
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