Raghuvansh Mahakavya

Raghuvansh Mahakavya

₹ 374 ₹400
Shipping: Free
  • ISBN: 9788188139507
  • Author(s): Mool Chandra Pathak
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 571528
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
Available on SOD This book is available on our Supply on Demand (SOD) feature. It will be procured after your order. Dispatch can take 1-3 working days. Know more.
Check delivery time for your pincode

About Product

कालिदासकृत ' रघुवंश महाकाव्य' संस्कृत साहित्य का शिरोमणि माना गया है । इसमें कवि ने दिलीप, रघु और राम जैसे महान् राजाओं एवं उनके कर्तव्यपरायण मानवीय चरित्रों के मा ध्यम से भारत की राजनीतिक अखंडता, सांस्कृतिक अभ्‍युदय, आध्यात्मिक व नैतिक मूल्यों तथा लोकरंजनकारी शासन - पद्धति के युग- युगीन आदर्शों को मूर्तिमान किया है । कालिदास की काव्यकला का प्रौढतम रूप इस काव्य में देखा जा सकता है । उनकी भाव - प्रवणता, रस - स्‍न‌ि‍ग्‍ध काव्य- चेतना, चित्तग्राही कोमल कल्पना, परिष्कृत और प्रांजल पद - योजना, शब्द व अर्थ के पूर्ण संतुलन व सामंजस्य की असाधारण प्रवीणता, घटनाओं के विन्यास की रुचिकर गतिशीलता, प्रकृति के विविध पदाथों व दृश्यों का भावपूर्ण आलेखन, पद- पद पर सरस व अनुरूप उपमाओं का विन्यास—ये स भी काव्य गुण इसमें कूट - कूटकर भरे हैं । प्रकृति व मानव जीवन के आतरिक और बाह्य सौंदर्य को परखने तथा उसे शब्दों में बाँधने की कला में कालिदास सिद्धहस्त हैं । वे सच्चे अर्थों में भारतीय जीवन - मूल्यों के आराधक, एक जीवनानुरागी कवि हैं । उन्होंने भोग और योग, अनुराग और विराग तथा आसक्‍त‌ि और तपस्या के बीच अनुपम सामंजस्य स्थापित करते हुए भारतीय जीवन - दृष्‍ट‌ि को इस काव्य के माध्यम से सशक्‍त अभ‌िव्यक्‍त‌ि दी है, जिससे ' रघुवंश ' भारतीय काव्य- साहित्य की एक अद्वितीय कृति बन गया है । प्रस्तुत ग्रंथ में कालिदास की इसी महत्वपूर्ण अमर कृति का पद्यमय काव्यानुवाद प्रस्तुत किया गया है ।

Tags: Poetry; Religious;

82565+ Books

Wide Range

119+ Books

Added in last 24 Hours

2000+

Daily Visitor

8

Warehouses

Brand Slider

BooksbyBSF
Supply on Demand
Bokaro Students Friend Pvt Ltd
OlyGoldy
Akshat IT Solutions Pvt Ltd
Make In India
Instagram
Facebook