DELHI SARKAR KI SHAKTIYAN AUR SEEMAYEN

DELHI SARKAR KI SHAKTIYAN AUR SEEMAYEN

₹ 374 ₹400
Shipping: Free
  • ISBN: 9789351864981
  • Author(s): S.K. Sharma
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 571541
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
Available on SOD This book is available on our Supply on Demand (SOD) feature. It will be procured after your order. Dispatch can take 1-3 working days. Know more.
Check delivery time for your pincode

About Product

दिल्ली की राजनैतिक और संवैधानिक स्थिति के बारे में अनेक भ्रम और भ्रांतियाँ व्याप्त हैं। लेकिन तथ्य यह है कि दिल्ली राज्य नहीं बल्कि एक संघ शासित प्रदेश है, अर्थात् Centrally Administered Territory है। संविधान के अनुसार राज्यों के शासनसंचालन का दायित्व प्रत्येक राज्य की चुनी हुई सरकार का है, जिसके मुखिया उस राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं। लेकिन संघ शासित प्रदेशों के शासन का संचालन भारत के राष्ट्रपति को सौंपा गया है, जो इस दायित्व का निर्वहन संघ द्वारा नियुक्त एक प्रशासक के माध्यम से करते हैं। वर्तमान में भारत में दिल्ली सहित 7 संघ शासित प्रदेश हैं। इनमें से केवल दो प्रदेशों पांडिचेरी और दिल्ली में ही शासन संचालन में जन प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने हेतु एक सीमित अधिकारों वाली विधानसभा का प्रावधान किया गया है। पांडिचेरी के अतिरिक्त दिल्ली ही एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जिसके शासन संचालन के प्रावधानों का उल्लेख भारत के संविधान में ही कर दिया गया है। दिल्ली के संबंध में संविधान में दो नए अनुच्छेद (239 क क एवं 239 क ख) जोड़कर व्यवस्था बना दी गई है। इसलिए दिल्ली के वर्तमान ढाँचे में कोई भी परिवर्तन संविधान संशोधन के माध्यम से ही किया जा सकता है और वह भी संसद् के एक विशेष बहुमत के द्वारा। संघ की राजधानी होने के नाते तीन विषय, अर्थात् कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि दिल्ली सरकार तथा विधानसभा की परिधि से बाहर रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त ‘सेवाओं’ का विषय स्वतः ही दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर इसलिए हो जाता है, क्योंकि संघ शासित प्रदेशों की अपनी कोई अलग सेवाएँ नहीं होतीं, संविधान में केवल संघ सेवाओं और राज्य सेवाओं का ही उल्लेख है। इसलिए केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत कर्मचारी संघ की सेवा में कार्यरत कर्मचारी ही माने जाते हैं और उन पर संघ सेवा के नियम व कानून ही लागू होते हैं। संघ सेवा कर्मचरियों की भरती और सेवाशर्तों को रेगूलेट करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास है और वे इस अधिकार को प्रायः प्रशासक (उपराज्यपाल) को डेलीगेट कर देते हैं। पुस्तक में मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच हुए मतभेद के मुख्य कारणों का भी विश्लेषण किया गया है। विधायिका से संबंधित अध्याय में 1993 से लेकर अब तक की सभी छह विधानसभाओं के परिणाम, दलीय स्थिति, सदस्यों की सामाजिकआर्थिक पृष्ठभूमि, पीठासीन अधिकारियों, मंत्री परिषद् के गठन आदि का संपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक के कुछ अध्याय, जो आवश्यक रूप से पढे़ जाने चाहिए, वे हैं—‘पूर्ण राज्य का दर्जा ः क्या लाभ, क्या हानि’, ‘दिल्ली में सरकार कौन? राष्ट्रपति, उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री’, ‘संसदीय सचिव ः न वैधानिक, न संवैधानिक।’ आशा ही नहीं अपितु विश्वास है कि वर्षों के निजी अनुभव, गहन अध्ययन और शोध पर आधारित पुस्तक की यह रचना पाठकों को रोचक तो लगेगी ही, साथहीसाथ उनके प्रश्नों और जिज्ञासाओं का उत्तर प्रस्तुत करके उन्हें लाभान्वित भी करेगी।

Tags: Fiction; Political; Theories;

96633+ Books

Wide Range

145+ Books

Added in last 24 Hours

2000+

Daily Visitor

8

Warehouses

Brand Slider

BooksbyBSF
Supply on Demand
Bokaro Students Friend Pvt Ltd
OlyGoldy
Akshat IT Solutions Pvt Ltd
Make In India
Instagram
Facebook