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भारत में अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को अति आदर्शवादी पाठ पढ़ाते हैं, सीख देते हैं। ऐसे पाठ और सीख, जिन पर वे स्वयं विश्वास नहीं करते हैं या जो हमारे वास्तविक जीवनानुभवों पर आधारित नहीं होते। इन सब से युवाओं को अपने व्यावहारिक जीवन में कोई लाभ नहीं होता। प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव, फिर रोजगार की तलाश, रोजगार मिलने पर उसमें बने रहने का दबाव और अपने वरिष्ठों से तालमेल बैठाने का दबाव अकसर युवाओं को इतना निचोड़ लेता है, दिग्भ्रमित कर देता है कि वे गंभीरतापूर्वक कुछ सोच नहीं पाते। प्रस्तुत पुस्तक मूल रूप से सभी आयुवर्ग के पाठकों, विशेषकर युवाओं, के लिए है कि वे अपने जीवन के बारे में सोच सकें, समस्याओं एवं चुनौतियों का सामना कर सकें, अपने लिए बेहतर भविष्य निर्माण कर सकें तथा अपने इच्छित कार्यों में अधिकाधिक सफलता पा सकें। इसमें जीवन के यथार्थों एवं वास्तविकताओं को व्याख्यायित किया गया है। अत्यंत सरल-सुबोध भाषा में लिखी व्यावहारिक पुस्तक सूत्र बताकर सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगी। व्यक्तित्व विकास पर एक संपूर्ण पुस्तक।.
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Self Help;