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किसी भूले को ढब्बूजी राह बताते हैं तो किसी हारे को जीने की शक्ति भी देते हैं। लेकिन उनमें सबसे बड़ा गुण यह है कि वह जात-पाँत; ऊँच-नीच के भेदभाव नहीं मानते। यही कारण है कि ढब्बूजी के चाहनेवाले कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और भारत से लेकर अमेरिका; रूस; चीन तक फैले हुए हैं। इन लाखों प्रशंसकों में एक आप भी हैं। ढब्बूजी का आपको सलाम —आबिद सुरती
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Comedy;