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डॉ. राम के व्यक्तित्व को कुछ शब्दों में बाँचना स्वयं में एक चुनौती है। उनके जीवन और व्यक्तित्व के इतने विविध आयाम हैं, उनकी कर्म-साधना के भिन्न-भिन्न स्तर हैं कि सभी को समग्रता व सहजता से समेटना संभव नहीं। एक सदाशय शल्य चिकित्सक, संस्कारों के सहज संरक्षक, परंपराओं के पोषक, शिक्षा के उन्नायक; वे इस युग में पुरुषोत्तम राम के पर्याय ही हैं। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व के अनेकानेक आलोक दीप अंतर्मानस में झिलमिलाते रहते हैं। ‘यादों के झरोखों से’ डॉ. राम के जीवन का दस्तावेज है। स्नेहीजन, परिजन, सहयोगी और सहपाठी सभी ने अपनी भावांजलि, संवेदनाएँ, श्रद्धासुमन, हृदयोद्गार, कलमबद्ध कर इस स्मृति ग्रंथ को संपूर्णता प्रदान की है। अपने गुरु के प्रति श्रद्धा-मिश्रित निष्ठा के भाव का संज्ञान तो सभी करते हैं, किंतु राम ने तो इतिहास ही बदल दिया। एक गुरु की अपने श्रेष्ठतम शिष्य, सहयोगी और साथी के प्रति मार्मिक संवेदना की अभिव्यक्ति, श्रद्धेय गुरुवर स्वर्गीय डॉ. के.सी.महाजन का आलेख, पुस्तक की भूमिका में स्वत: ही परिणित हो गया। हमारे अग्रज श्री ओ.पी. गुप्ता ने जिस लगन व मनन से पल-पल दिन-रात एक कर आलेख, संस्मरण तथा श्रद्धा सुमन से संवेदनाएँ समेंटी एवं सजाईं, वह एक अग्रज के अपने अनुज के प्रति अटूट, असीम, अप्रतिम, अविस्मरणीय अपनत्त्व एवं आस्था का परिचायक है। उसी आशा एवं विश्वास के साथ ‘यादों के झरोखों से’ भावी पीढ़ी को प्रेरणा का स्रोत बन प्रेरित करता रहेगा। —डॉ. अनिल चतुर्वेदी
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