Inquilab

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₹ 584 ₹700
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  • ISBN: 9789386231857
  • Author(s): Mrinalini Joshi
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 571619
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

फर्न बड़ी मुश्किल से उठा और आने बढ़ने लगा। तभी भगतसिंह ने पीछे मुड़कर उसपर गोली दाग दी। फर्न गोली से नहीं, डर के मारे जमीन पर गिर पड़ा। साहब को गिरते हुए देखकर उसके साथी सिपाही वहीं-के-वहीं खडे़ रह गए। दूसरी गोली दागने के इरादे से भगतसिंह पीछे मुड़ने ही वाला था कि आजाद ने हुक्म दिया—‘‘चलो!’’ सुनते ही राजगुरु और भगतसिंह दोनों भागकर कॉलेज के अहाते में घुस गए। भगतसिंह सबसे आगे था और उसके पीछे था राजगुरु तथा उसके पीछे चंदनसिंह था। बड़ी अजीब तरह की दौड़ थी। आगे भगतसिंह। उसे दबोचने की कोशिश करनेवाला चंदनसिंह और चंदनसिंह को दबोचकर भगतसिंह को बचाने को तत्पर राजगुरु। साक्षात् जीवन-मृत्यु एक-दूसरे का पीछा कर रहे थे। किसकी जीत होगी? किसकी हार होगी? चंदनसिंह काफी लंबा और मजबूत था। जान की बाजी लगाकर वह पीछा कर रहा था। आखिर वह सफल होने जा रहा था। भगतसिंह के बिल्कुल पास पहुँच गया था। अब उसे दबोचने ही वाला था कि ‘साँय-साँय’ करती एक गोली आकर सीधे उसके पैर में धँस गई। उसकी रफ्तार तनिक कम हो गई, लेकिन वह नहीं रुका। तभी दूसरी गोली आई और सीधे उसके पेट में घुस गई। चीखकर धड़ाम से वह जमीन पर गिर पड़ा। भगतसिंह समझ चुका था कि यह गोली आजादजी की पिस्तौल से चली है; क्योंकि इस प्रकार तीन लोग जब इस तरह से तेज दौड़ रहे हों तब ठीक अपने दुश्मन का ही निशाना साधना सिर्फ उन्हीं के वश की बात है। —इसी पुस्तक से

Tags: Biography; Freedom Fighter;

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