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वर्तमान युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य देशों का पड़ रहा प्रभाव यौन संबंधी मूल्यों में गिरावट ला रहा है। श्रेष्ठ भारतीय मूल्यों, जैसे—विषम लिंगी के प्रति सम्मान, जीवन-साथी व वैवाहिक जीवन का सम्मान, विवाह पूर्व एवं विवाहोत्तर यौन संबंधों की अवमानना आदि को पुनः जीवंत करने की आज महती आवश्यकता है। उच्च शिक्षा प्राप्ति की दौड़ एवं व्यवसाय में स्थापित होने की लालसा के परिणामस्वरूप विवाह की आयु में वृद्धि होने लगी है। इन कारणों से किशोर वर्ग विवाह पूर्व यौन संबंधों को सामान्य मानने लगा है। ये संबंध छोटी आयु में गर्भधारण, गर्भपात आदि के साथ-साथ अनेक यौन संक्रमित रोगों (जिनमें एड्स भी शामिल है) के कारण बन रहे हैं। इसलिए भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए मान्य यौन व्यवहार की सीमाओं के प्रति सच्ची आस्था उत्पन्न किया जाना आवश्यक हो गया है। हम अपने किशोरों को विद्यालय के स्तर पर ही ऐसी यौन शिक्षा प्रदान करें, जिससे वे दिग्भ्रमित न हों और भारतीय संस्कारों के अनुरूप यौन-जीवन जिएँ— इसी उद्देश्य से प्रस्तुत पुस्तक का प्रणयन हुआ है। यह कृति किशोरों, युवाओं एवं अन्य सामान्य पाठकों को यौन शिक्षा के संबंध में अनेकानेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ देती है।
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Women Studies;