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बरगद बाबा का दर्द एक ऐसी पुस्तक है, जिसमें कहानी के माध्यम से पर्यावरण की महत्ता को बताने का प्रयास किया गया है। बरगद बाबा इसके मुख्य पात्र हैं, जो कि एक यात्री को कहानी सुनाते हैं। वे बताते हैं कि कैसे पेड़ काटे जा रहे हैं, कैसे जंगल नष्ट हो रहे हैं, कैसे पहाड़ों को खत्म किया जा रहा है, कैसे जंगली जानवरों और पक्षियों का जीवन खतरे में है, कैसे नदियाँ प्रदूषित हो गई हैं। लेकिन किसी को चिंता नहीं है। बाबा बताते हैं कि कैसे ग्लेशियर के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और दुनिया के कई शहरों का अस्तित्व भी खतरे में है। पुस्तक में बरगद बाबा ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र करते हैं। महापुरुषों के बारे में बताते हैं। लोगों के ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। वे यह संदेश देना चाहते हैं कि कैसे जल, जंगल, जानवर, पहाड़, नदी का मनुष्य से गहरा रिश्ता है, कैसे ये सब मनुष्यों के लिए आवश्यक हैं, इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। पुस्तक में बरगद बाबा वही भूमिका अदा करते हैं जो आम घरों में एक बुजुर्ग निभाता है। वे अपनी पीड़ा का बखान करते हैं। साथ ही पर्यावरण की उपेक्षा न करने के लिए आग्रह करते हैं। बरगद बाबा उदाहरण देते हैं, कहानी कहते हैं, घटनाओं का जिक्र करते हैं और उसे समाज की मूल समस्या से जोड़ते हैं। बाबा समस्या के साथ-साथ उसका समाधान भी बताते हैं कि कैसे पानी बचाएँ, कैसे खेती करें, कैसे पर्यावरण की रक्षा करें। पर्यावरण के बारे में मानव मात्र को जागरूक करनेवाली उपयोगी पुस्तक।.
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Environment;
Nature;