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रामवृक्ष बेनीपुरी ने कई नाटकों, एकांकियों और रेडियो-रूपकों की रचना की है। ‘तथागत’ एक ऐतिहासिक नाटक है। इसमें बुद्ध के प्रख्यात ऐतिहासिक चरित्र की मामर्क अभिव्यक्ति हुई है। भाषण की सजीवता, शैली के अनूठेपन, कल्पना की मसृणता और संवादों के लाघव में बुद्ध का विस्तृत जीवनवृत्त खटकता नहीं, अपितु पाठक/दर्शक एक सम्मोहन की अवस्था में एक-एक दृश्य पढ़ता/देता चला जाता है। ‘तथागत’ की कथावस्तु पाँच अंकों में विन्यस्त है और वे पाँचों अंक विभिन्न शीर्षकों—अंतिम शृंगार, सुजाता की खीर, बहुजन हिताय बहुजन सुखाय, विरोध और विजय तथा महापरिनिर्वाण में अभिव्यक्त हुए हैं। फिर भी कथावस्तु की सुगठता, प्रवाहमयता खंडित नहीं होती। यह एक विशिष्ट नाट्य-कृति है।.
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Drama;