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आकृति द्वारा भूत, भविष्य एवं वर्तमान कथन की परंपरा भारत की सर्वाधिक प्राच्य परंपराओं एवं चमत्कारी विद्याओं में से एक है । मनुष्य जैसे स्वभाव और चरित्र का होता है, उसकी आकृति भी वैसी ही होती है । इसलिए विद्वानों ने कहा-' मनुष्य का चेहरा उसके मस्तिष्क का दर्पण होता है । ' विद्वान् लेखक ने अपने वर्षों के निरंतर शोध व परीक्षण से पाया कि जन्म-लग्न में जिन-जिन ग्रहों का जो प्रभाव होता है, वह व्यक्ति के चेहरे पर स्वत: ही मुखरित हो जाता है । आकृति विज्ञान व ललाट-रेखाओं पर कोई प्रामाणिक पुस्तक कहीं दिखलाई नहीं देती । यशस्वी लेखक डॉ. भोजराज द्विवेदी का यह प्रथम प्रयास है कि उन्होंने शास्त्रीय आधार व श्लोकों को उद्धृत करते हुए इस विषय में भारतीय पक्ष को उजागर करने की चेष्टा की है । साथ ही विदेशी- विद्वानों के दृष्टिकोण को भी स्पष्ट किया है । चित्रात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान से परिपूर्ण यह पुस्तक आपको मनुष्य के भीतर छिपे हुए उसके चरित्र व गढ़ रहस्यों को प्रकट करने में एक दर्पण का कार्य करेगी ।
Tags:
Astrology;
Religious;