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‘रौशनदानौ र्य गाथाएँ’ उस त्याग और बलिदान का जीवंत दस्तावेज है, जिसको पढ़ना हर स्वतंत्रचेता और देश के प्रति निष्ठा रखनेवाले नागरिक को और जागरूक करेगा। बलिदान की जो आग ठंडी पड़ चुकी है, उसको प्रज्वलित करेगा। देश माटी का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि उस माँ का कलेजा है, जिसने झंझावातों को झेलकर संतान को पाला है। आजादी प्राप्त करने में उतने बलिदान नहीं करने पड़ते, जितने उसकी रक्षा के लिए करने होते हैं। अगर किसी देश को शांतिपूर्वक रहना है तो उसकी सीमाएँ सुरक्षित रहनी चाहिए। सीमाएँ सुरक्षित रखनी हैं, तो देश का आंतरिक अनुशासन बहुत जरूरी है। अराजकता का पोषण करके आजादी केवल खतरे में डाली जा सकती है। अभी जागने का समय है, अराजक और राष्ट्रविरोधी शक्तियों को कुचलने का समय है। हमें अराजकता और आजादी के बीच विभाजन रेखा तय करनी होगी। हमारे सैनिक सीमा पर बलिदान देते रहें और राष्ट्रविरोधी ताकतें देश के भीतर पलती रहें, देश को खंडित करने में लगी रहें, यह जनहित में कदापि नहीं है। आशा है, हमारी सेना के वीर, जाँबाज, शहीद हुतात्माओं के इन प्रेरक प्रसंगों को पढ़कर नई पीढ़ी भारत माँ की रक्षा और देश की अंता के लिए प्रेरित होगी|
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Indian History;
Self Motivation;