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नैतिकता संपूर्ण मानवता की साझा पूँजी है। संसार की समस्त विचारधाराएँ, दार्शनिक चिंतन एवं साहित्यिक कृतियाँ इसके प्रभाव में आए बिना नहीं रह सकतीं। नैतिकता ही इनसानियत और हैवानियत के बीच की विभाजक रेखा है। प्रस्तुत पुस्तक में नैतिक शिक्षा की उपादेयता पर गंभीरता से विचार किया गया है। परिवार, समुदाय, विद्यालय, महाविद्यालयीन इत्यादि की भँ और इनमें आपस में तालमेल कैसे रखा जाए—इनपर गहन विचार-मंथन किया गया है। इसमें वर्तमान की चुनौतियों को केंद्र में रखकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग में नैतिक शिक्षा की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया गया है। यह पुस्तक जहाँ विद्यालयों, महाविद्यालयीनों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए उपयोगी है वहीं दैनिक जीवन में भी एक महत्त्वपूर्ण संदर्भ पुस्तक के रूप में उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी, ऐसा विश्वास है।.
Tags:
Education;
Self Motivation;