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सन् 1997 में जब असम में उग्रवाद चरम पर था, तब लेफ्टिनेंट जनरल एस.के. सिन्हा को वहाँ का राज्यपाल बनाया गया। अपने कार्यकाल के दौरान किस तरह उन्होंने इन चुनौतियों का सामना किया, प्रस्तुत पुस्तक में इसका विस्तृत उल्लेख है। असम में शांति एवं व्यवस्था बहाल करने के लिए उन्होंने अपनी सैन्य पृष्ठभूमि का उपयोग करते हुए अनेक व्यावहारिक योजनाएँ बनाईं। लेखक ने असम में अनोखे त दृष्टिकोण का परिचय दिया। विद्रोही तत्त्वों से सीधा संवाद किया, उनकी मानसिकता बदली और उन्हें वापस राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया। यही नहीं, असम की सभ्यता-संस्कृति को उन्होंने जाना-समझा और राज्य के डरे-सहमे लोगों के बीच जाकर खुशियों की सुगंध फैलाई। असम में भयमुक्त वातावरण तैयार करने के प्रयासों और असम के हितों की रक्षा करने के कारण वहाँ की जनता ने उन्हें ‘असम की मिट्टी के सच्चे सपूत’ की उपाधि दी। वहाँ के एक समाचार-पत्र ‘नॉर्थ-ईस्ट टाइम्स’ ने लिखा—‘प्रासंगिक प्रश्न यह है कि फिर सच्चा असमी कौन है? ले.जन. (अपनप्रा.) एस.के. सिन्हा एक सच्चे असमी हैं, क्योंकि वह सच्चे मन से असमी जनसमुदाय के वास्तविक हित की बात सोचते हैं।’ प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे लोकप्रिय और कर्मशील शासक द्वारा असम में आशा की लौ जगाने के प्रयासों का वर्णन है, जो पाठकों को देश और समाज में व्याप्त संकट-अवरोधों और इनसे संघर्ष करके मार्ग बनाने के लिए अधिक जागरूक और संवेदनशील बनाएगी।.
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Indian Army;