Atishaya

Atishaya

₹ 374 ₹400
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  • ISBN: 9789386001375
  • Author(s): Mridula Sinha
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 573134
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

‘‘जीवन जीने के क्रम में जब हम पाँचों इंद्रियों की लगाम ढीली कर देते हैं तो हमारी भी स्थिति महाभारत के नहुष-पुत्र ययाति जैसी होती है। ययाति के जीवन में आए अनुभवों से हमारी सभी पीढि़यों को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने अपने पुत्र पुरु को उसका यौवन लौटाते हुए भोग की वीथियों से निकलकर जो संदेश दिए, वे हमारी संस्कृति और समाज-जीवन के संबल रहे हैं। हमें आनेवाली पीढ़ी को भी सौंपना चाहिए। सुख, सुख और सुख! सुख और सुविधा की चाह में मनुष्य दुःखी होता जा रहा है। उपभोक्तावाद को हमने जीवन-व्यवहार बना लिया। भूख, भय, भ्रष्टाचार और प्रदूषण से दुनिया तबाह हो रही है। आतंकवाद के पीछे भी भय है; दूसरों से भय, छीने जाने का भय, ठगे जाने का भय। इसलिए हिंसा बढ़ रही है। कितना भी भौतिक संपत्ति-संपन्न राष्ट्र क्यों न हो, आतंकवाद के आगे तबाह हो जाता है, टूट जाता है। यह विश्वबंधुत्व भाव की अनुपस्थिति की स्थिति है। बड़ी-बड़ी भौतिक उपलब्धियाँ क्षणों में समाप्त की जा सकती हैं। इसलिए कि मनुष्य को मनुष्य बनाने पर बल नहीं दिया जा रहा। आज भारतीय जीवन-शैली में रचा-बसा संदेश दुनिया को सुनाने की आवश्यकता है और वह संदेश है संयम का, त्याग का; भोग का नहीं। —इसी पुस्तक से विश्व भर में भारत के उत्कर्ष का जयघोष करती पीढ़ी का संदेश प्रसारित करता एक पठनीय उपन्यास।

Tags: Fiction; Social;

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