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मास्टर दीनानाथ मंगेशकर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और प्रख्यात गायक थे। अपने ओजस्वी व मधुर स्वर के जाने-माने प्रज्ञा-पुरुष थे। असाधारण प्रतिभावाले, अपनी अलग छवि बनानेवाले अद्भुत नटगायक थे। शास्त्रीय संगीत में उनकी गहरी पैठ थी। प्रचलित रागरूपों को वे पूरी शिद्दत के साथ अपने अलग अंदाज में पेश करते थे। शास्त्रीय संगीत की मजबूत बुनियाद के कारण ही वे रंगमंच पर ‘नाट्यगीत’ गायन में जलवे दिखा सके तथा अपनी अनोखी गायन शैली को प्रस्थापित कर सके। आज भी दीनानाथी गायन शैली का प्रभावशाली संगीत अपनी धाक जमाए हुए है तथा सर्वाधिक लोकप्रिय है। मास्टर दीनानाथ एक ‘नाट्य निर्माता’, कई नाटकों को संगीत देनेवाले ‘संगीतकार’, अलौकिक प्रतिभासंपन्न ‘संगीतज्ञ’, नाटकों में प्रमुख भँ करनेवाले गायक नट, व्यासंगी, मूलगामी, विश्लेषक, विशिष्ट अवधारणा के आग्रही स्वतंत्रचेता शलाका-पुरुष थे। स्वरसम्राट् मास्टर दीनानाथ मंगेशकर के संगीतयम जीवन के विविध आयामों को बड़ी सरस-सुमधुर शैली में प्रस्तुत करती एक जीवनी जो न केवल गायकों, संगीतज्ञों तथा संगीत-प्रेमियों अपितु स्वर तथा संगीत के प्रति जिज्ञासु आम पाठकों के लिए भी अत्यंत ग्राह्य एवं पठनीय है।.
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Autobiography;
Biography;