Krantikari Kishore

Krantikari Kishore

₹ 334 ₹400
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  • ISBN: 9788177213201
  • Author(s): Smt. Asha Rani Vohra
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 573202
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

‘क्रांति का अर्थ और उद्देश्य केवल जुल्म के खिलाफ लड़ना मात्र नहीं होता, उसके बाद तत्कालीन शासन और समाज में अपेक्षित परिवर्तन व सुधार लाना भी होता है, जिसकी बहुत स्पष्ट रूपरेखा क्रांति नेतृत्व के पास होती है। आज के वातावरण को देखते हुए नई पीढ़ी के सामने ‘आतंकवाद’ और ‘क्रांति’ के भेद को स्पष्ट करना बेहद जरूरी है। —भूमिका का एक अंश ‘अंग्रेजों ने डी.एस.पी. अहसानउल्ला खाँ को एक हिंदू किशोर क्रांतिकारी हरिपद भट्टाचार्य द्वारा मार दिए जाने की घटना को जान-बूझकर सांप्रदायिक रंग देकर उस दिन सारी फौज तथा पुलिस को हटा लिया और शहर को गुंडों के हवाले कर दिया। इसमें अनेक निर्दोष जानें गईं और धर-पकड़ में जनता को बेवजह परेशान करने का बहाना भी अंग्रेज सरकार को मिल गया।’ —चटगाँव शस्त्रागार कांड के बाद दमन व बदले की द्विपक्षीय कार्यवाहियाँ, 1930-39 ‘मजिस्ट्रेट आर्थर विधानसभा के फाटक के सामने फौज की टुकड़ी के साथ तैनात था। उसने पुलिस के घेरे में प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने दिया कि जब वे एकदम तंग घेरे में आ जाएँगे, तब न आगे जा सकेंगे, न पीछे लौट सकेंगे। ‘वंदे मातरम्’ के नारों से आकाश गूँज उठा। झंड़ा लिये आगे बढ़ते हुए एक के बाद एक साथी गोली खाकर गिरते गए। कुल ग्यारह लड़कों को गोली लगी, जिनमें से सात नौजवान शहीद हो गए। नेतृत्व करनेवाला जगपति कुमार सबसे कम उम्र का था।’ —पटना सचिवालय पर झंडारोहण, 1942 ‘माँ मुस्कुराईं। उन्होंने मेरी टोपी ठीक की, फिर बोलीं, ‘हाँ, अब तुम वास्तव में हमारी बेटी लग रही हो। मुझे तुमपर गर्व है।’ फिर भी उन्होंने मेरी परीक्षा ली, ‘भारती, तुम्हें कॉलेज छोड़ने का दुःख तो नहीं होगा? अच्छी तरह सोच लो। तुमने भारत को अभी देखा भी कहाँ है! क्या तुम उस देश के लिए पूरे मन से लड़ सकोगी, जहाँ तुम देश के लिए पूरे मन से लड़ सके, जहाँ तुम जनमी, पली, बढ़ी नहीं?’ मैं तुनक गई। ‘आप मेरी परीक्षा न लें, माँ, वक्त आने पर दिखा दूँगी कि मैं भारत की आजादी के लिए कैसे लड़ती हूँ!’’ —इसी पुस्तक से.

Tags: History; Freedom Fighter;

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