Hindi visheshanon Ka Arthparak Vishleshan

Hindi visheshanon Ka Arthparak Vishleshan

₹ 334 ₹400
Shipping: Free
  • ISBN: 9788177213041
  • Author(s): Urmila Bhargava
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 573252
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
Available on SOD This book is available on our Supply on Demand (SOD) feature. It will be procured after your order. Dispatch can take 1-3 working days. Know more.
Check delivery time for your pincode

About Product

पारिभाषिक शब्दावली याद करने में विद्यार्थी अकसर अरुचि तथा असमर्थता दिखाते हैं। भाषा शिक्षण के बंधन में बँधे होने के कारण अध्यापन में वही परंपरागत विद्या अपनाई जाती रही है। कुछ समय से विशेषण का भाषा में प्रयोग और उसका महत्त्व वाक्यों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया, जो काफी लोकप्रिय हुआ। अपने माता-पिता से मैंने एक मंत्र सीखा था, ‘नवीन मार्ग की ओर बढ़ने के लिए बंद अर्गला खोल दो। विवादास्पद ही सही, परंतु कहीं तो कुछ सारतत्त्व अवश्य मिलेगा।’ काफी सोच-विचार के उपरांत परंपरागत पारिभाषिक विशेषण को वर्तमान पीढ़ी के समझने योग्य सरलीकृत बनाने का दुस्साहस किया है। विधा कोई भी अपनाई जाए, पर उसके पीछे उद्देश्य एक ही होता है कि भाषा का सौंदर्य/चमत्कार बना रहे। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, किंतु वर्तमान पीढ़ी हिंदी को कितना उबाऊ विषय मानती है, इस ओर ध्यान देना आवश्यक है। विषय कोई भी हो, जब तक वह समझ में नहीं आएगा, तब तक रुचि बढ़ने का संकेत मिलना असंभव है। पुस्तक में विशेषण को प्राणिवाचक और अप्राणिवाचक सिद्ध करने का प्रयास किया गया है।.

Tags: Grammar; Linguistics;

81134+ Books

Wide Range

0+ Books

Added in last 24 Hours

2000+

Daily Visitor

8

Warehouses

Brand Slider

BooksbyBSF
Supply on Demand
Bokaro Students Friend Pvt Ltd
OlyGoldy
Akshat IT Solutions Pvt Ltd
Make In India
Instagram
Facebook