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पहली सरकार के चुनाव के समय महीनों से मेहनत करनी पड़ती थी। इस काम में कागज व समय की बरबादी बहुत होती थी। अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी मत-पेटियाँ लेकर तैयारी में लगे रहते थे। गणना में भी अधिक समय लगता था और यह काम काफी थकाने वाला एवं ऊबाऊ था। चुनाव के समय मत-पत्रों की छपाई, मत-पत्रों एवं मत-पेटियों का वितरण, फिर उन्हें इकट्ठा करना और फिर करोड़ों मतों की गिनती करना बड़ा ही दुष्कर कार्य था। अब ई.वी.एम. प्रणाली के माध्यम से ही चुनाव संपन्न होते हैं। अभी भी लोगों को ई.वी.एम. के बारे में सही, तथ्यात्मक और उचित जानकारी नहीं है, इसलिए वे ई.वी.एम. से संबधित निराधार बातें करते रहते हैं। ई.वी.एम. के बारे में आसपास भी गहनता से कम ही जानने को मिलता है। इस पुस्तक में ई.वी.एम. के हर बारीक पहलू को रोचक तरीके से बताया गया है। पुस्तक में जगह-जगह पर रोचक कहानियाँ भी हैं। ये कहानियाँ ई.वी.एम. एवं चुनाव प्रणाली में संतुलन बनाए रखती हैं और पाठकों को नई-नई जानकारियाँ भी प्रदान करती हैं। इस पुस्तक में आवश्यक चित्रों एवं संकेतों का प्रयोग भी किया गया है, जिससे यह पुस्तक जीवंत बन पड़ी है। इस पुस्तक को पढ़कर पाठकों को ई.वी.एम. के बारे में प्रामाणिक जानकारी मिल पाएगी और इससे जुड़ी उनकी अनेक भ्रांतियाँ दूर हो जाएँगी।.
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Politics;
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